8 चमत्कारी जगह जहां हजारों सालों से ऐसा कुछ हो रहा है कि साइंस भी है हैरान
योगान्ति मंदिर, आंध्र प्रदेश।
15वीं शताब्दी से लिटिल बॉय लिटिल, इंच बॉय इंच शिव मंदिर में नंदी की मूर्ति चमत्कारिक रूप से दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। यहां तक कि भारतीय पुरातत्व का सर्वेक्षण भी इस तथ्य को नहीं नकार पा रहा है। वे कहते हैं कि नंदी के पास स्थित स्तंभों में से एक को वृद्धि की वजह से हटा दिया गया है।
लेकिन यहीं सब खत्म नहीं हो जाता, अभी और भी बहुत कुछ है।
इसके बारे में ऐसी भी भविष्यवाणी की जा रही हैं कि कल युग के अंत में नंदी खड़ा हो जाएगा और चिल्लाएंगा। इसके अलावा, इस क्षेत्र में एक भी कौवा नहीं है। किंवदंती है कि बाबा अगस्त्य ने पवित्र प्रथाओं को जिंदा रखने के लिए कौवा नहीं होने का शाप दिया था और इसके बाद कौवे कभी लौट कर नहीं आए।
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मजार (दरगाह) शरफुद्दीन शाहविलायत हजरत, अमरोहा
इस क्षेत्र में विषैला बिच्छू हैं, लेकिन वे दरगाह के परिसर के भीतर डंक नहीं मारते। यह देख आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होगा।
एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि आप उन्हें घर ले जा सकते हैं और एक समय निर्दिष्ट तक वे खुद को अपने शालीन व्यवहार में रखेंगे।
वे इस दौरान आपको डंक भी नहीं मारेंगे, लेकिन समयअवधि के बाद आपकी खैर नहीं। क्योंकि वे अपने प्राकृतिक चुभने की प्रकृति में बदल जाते हैं।
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कमर अली दरवेश दरगाह, पुणे।
बहुत समय पहले की बात है, कमर अली दरवेश पर एक फैसला सुनाया गया कि एक पवित्र 70 किलो वजन का पत्थर अगर 11 पुरुष अपनी उंगलियों में रख उछाले और अपना नाम दोहराय।
आपको यकीन नहीं होगा यह सिर के ऊपर तक उठाया जा सकता है।
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वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश
जी हां, हमारे यहां एक ऐसा स्तंभ भी है जो हजारों सालों से हवा में लटका हुआ है। यहां भी इसके समर्थन में कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं 16वीं सदी का ये मंदिर वीरभद्र को समर्पित है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान शिव के क्रोध का नतीजा है। आकाशा स्तंभ, (फ्लोटिंग स्तंभ)। इसमें विश्वास रखने वाले भक्त स्तंभ के नीचे से कपड़ा निकालते हैं, जिससे की उनके सारे दुख-दर्द दूर हो जाए।
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अम्ब साहब, गुरुद्वारा, मोहाली।
अम्ब साहब के परिसर में स्थित इस आम के पेड़ के बारे में कहा जाता है कि यह 7वें सिख गुरू हर राय साहिब के आशीर्वाद का प्रतिफल है कि यहां हर मौसम में आम पेड़ पर लदे रहते हैं।
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सोमनाथ मंदिर, गुजरात
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है । गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था । इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है । इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया ।
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थेप्पेरुमनल्लुर शिव मंदिर, तमिलनाडु
15 जनवरी 2010 को सूर्यग्रहण के दौरान यह मंदिर एक अजीब घटना का गवाह बना। इस कहानी में एक कोबरा नायक था।
थेप्पेरुमन्नालुर के अग्रहारम गांव में श्री विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के पुजारी ने सूर्य ग्रहण वाले दिन मंदिर के गर्भगृह का दरवाज़ा खोला और पानी लेने के लिए बाहर गया
वहां उसने देखा कि मंदिर स्थित बेल के पेड़ से एक कोबरा मुंह में पत्ती लेकर नीचे उतर रहा है…फिर उस कोबरा ने गर्भगृह में जाकर शिवलिंग के ऊपर उस पत्ती को रख दिया…यही क्रम उसने कई बार और दोहराया।
तस्वीर में देखिए मुंह में पत्ती लिए शिवलिंग पर बैठा कोबरा।
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विटाला मंदिर, हम्पी, आंध्र प्रदेश
खंभे में संगीत आता हैं