साधारण पौधे…इन्हें घर में लगाने से रहेगा बहतर
आयुर्वेद में कई औषधीय पौधों के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। लेकिन सभी पौधे ऐसे नहीं होते जिन्हें घर में लगाया जा सके या बिना चिकित्सक के मार्गदर्शन के उनका उपयोग किया जा सके। हम आज आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक औषधीय पौधों के बारे में जिन्हें घर में लगाने से बीमारियां पास नहीं आती है। साथ ही इनका कई छोटी-मोटी बीमारियों के उपचार में उपयोग किया जा सकता हैं
- एलोवेरा- जलने पर,कहीं से कटने पर, अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को बनाए रखता है। बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एडिय़ों के लिए यह लाभप्रद है। इसका गूदा या जेल निकालकर बालों की जड़ों में लगाना चाहिए। बाल काले, घने-लंबे एवं मजबूत होंगे।
- वच- वच अधिक गंधयुक्त, चटपटा-तीखा, उल्टी लाने वाला और पाचनशक्तिवद्र्धक है। यह मलमूत्र को साफ करने वाला है। इसके अतिरिक्त यह पेट दर्द,हानिकारक कीटाणु, मिर्गी, वात और आफरा को दूर वाली औषधि है। यह औषधि बुखार और हृदय की गति को सामान्य करती है तथा गले के रोग एवं सांस की बीमारी में भी लाभकारी है।यह सर्दी-जुकाम के प्रभाव को कम कर देती है और बुखार कम करने के साथ मलेरिया, चिकन पॉक्स, मीजल्स, एन्फ्लूएंजा और अस्थमा जैसी बीमारियों को भी ठीक कर देती है।
- हल्दी- हल्दी रक्तशोधक, कफ और वात नाशक होती है। सर्दी-खाँसी में गरम पानी से हल्दी की फांकी देने से आराम मिलता है तथा बलगम भी निकल जाता है। हल्दी एंटीबायटिक का काम भी करती है। इसे फेस पैक के रूप में बेसन के साथ लगाने से त्वचा में निखार आता है। इसके निरंतर प्रयोग से बाल टूटना, रूसी, सफेद होना रूक जाते हैं। नेत्र ज्योति सुरक्षित रहती है। दांत मजबूत बने रहते हैं तथा नेत्र, हाथ पांव के तलुओं, मूत्रमार्ग, आमाशय, आंतों तथा मलमार्ग की जलन समाप्त हो जाती है।
- तुलसी- तुलसी खासतौर पर दिल की रक्त वाहिकाओं, लीवर, फेफड़े, उच्च रक्तचाप तथा रक्त शर्करा को कम करने में मददगार साबित होती है।
- आंवला -इसके निरंतर प्रयोग से बाल टूटना, रूसी, सफेद होना रूक जाते हैं। नेत्र ज्योति सुरक्षित रहती है। दांत मजबूत बने रहते हैं तथा नेत्र, हाथ पांव के तलुओं, मूत्रमार्ग, आमाशय, आंतों तथा मलमार्ग की जलन समाप्त हो जाती है। इसके प्रयोग से इम्युनिटी पावर सुरक्षित रहती है। बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाव करने वाला आंवला विटामिन “सी” का सबसे बड़ा भण्डार है। इसका विटामिन “सी” पकाने, सुखाने, तलने, पुराना होने पर भी नष्ट नहीं होता।