वास्तुशास्त्र के रंग

वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखने और खुश रहें

Home_Officeआधुनिक जीवन में वास्तु का बहुत अधिक महत्व हो चाहे वो हेल्थ हो या किस्मत दोनों पर ही ज्योतिष के अनुसार वास्तु का बहुत प्रभाव पड़ता है। मान लीजिए अगर किसी के घर का या वर्किंग प्लेस पर वास्तु दोष हो तो हेल्थ पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर आपने घर के वास्तु को सही तरह से  मेंटेन कर लिया तो आपकी हेल्थ तो अच्छी रहेगी ही साथ ही किस्मत भी सही रहेगी ।

  1. यदि भवन में पूर्व दिशा का स्थान ऊँचा हो, तो व्यक्ति का सारा जीवन आर्थिक अभावों, परेशानियों में ही व्यतीत होता रहेगा और उसकी सन्तान अस्वस्थ, कमजोर स्मरणशक्ति वाली, पढाई-लिखाई में जी चुराने तथा पेट और यकृत के रोगों से पीडि़त रहेगी।यदि पूर्व दिशा में रिक्त स्थान न हो और बरामदे की ढलान पश्चिम दिशा की ओर हो, तो परिवार के मुखिया को आँखों की बीमारी, स्नायु अथवा ह्रदय रोग की स्मस्या का सामना करना पडता है। घर के पूर्वी भाग में कूडा-कर्कट, गन्दगी एवं पत्थर, मिट्टी इत्यादि के ढेर हों, तो गृहस्वामिनी में गर्भहानि का सामना करना पडता है।
  2. भवन के पश्चिम में नीचा या रिक्त स्थान हो, तो गृहस्वामी यकृत, गले, गाल ब्लैडर इत्यादि किसी बीमारी से परिवार को मंझधार में ही छोडकर अल्पावस्था में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है.यदि पूर्व की दिवार पश्चिम दिशा की दिवार से अधिक ऊँची हो, तो संतान हानि का सामना करना पडता है.अगर पूर्व दिशा में शौचालय का निर्माण किया जाए, तो घर की बहू-बेटियां अवश्य अस्वस्थ रहेंगीं।
  3. अपने परिवार के साथ बिताए खुशनुमा पलों से संबंधित तस्वीर को अपने घर के ड्राइंग रूप में लगाएं। इससे आप प्रसन्नचित रहेगी। वर्किंग टेबल पर दायीं ओर क्रिस्टल ट्रे रखें व समय-समय पर रत्नों के  पौधे की झाड़-पोंछ और सफाई भी करते रहें।अपनी टेबल व कुर्सी के पास एक स्फटिक अर्थात क्रिस्टल का कोई शो-पीस, रॉक बॉल रखें जो आपके आभा मंडल को अधिक विस्तृत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  4. आत्मविश्वास में लगातार बढ़ोतरी के लिए अपनी कुर्सी को मेज के सामने आगंतुक के बैठने की कुर्सी से थोड़ी ऊंची रखें।अगर आप घर में बैठ कर ऑफिस या अपने व्यवसाय से जुड़ा कोई काम करती हैं तो आपके लिए घर का दक्षिण पश्चिम स्थित नेऋतय कोण सर्वोतम है। यहां हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा में मुख करके बैठें, जब कि आगंतुक का मुख सदा पश्चिम या दक्षिण दिशाओं में होना चाहिए। इससे आप दूसरे को बहुत थोड़े प्रयास से प्रभावित कर लेंगे।
  5. यदि भवन का पश्चिमी भाग नीचा होगा, तो पुरूष संतान की रोग बीमारी पर व्यर्थ धन का व्यय होता रहेगा। घर के पश्चिम भाग का जल या वर्षा का जल पश्चिम से बहकर, बाहर जाए तो परिवार के पुरूष सदस्यों को लम्बी बीमारियों का शिकार होना पड़ेगा। यदि भवन का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर हो, तो अकारण व्यर्थ में धन का अपव्यय होता रहेगा। यदि पश्चिम दिशा की दिवार में दरारें आ जाए, तो गृहस्वामी को अवश्य कोई बीमारी होगी।पश्चिम दिशा में रसोईघर अथवा अन्य किसी प्रकार से अग्नि का स्थान हो, तो पारिवारिक सदस्यों को गर्मी, पित्त और फोडे-फिन्सी, मस्से इत्यादि की शिकायत रहेगी।
  6. सबसे पहले अपने घर के पूर्व या पूर्वोतर दिशा की खिड़कियां व दरवाजे खोलें क्योंकि इन दिशाओं से ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा आती है। ऐसा करने से सुबह ठंडी हवा, सकारात्मक ऊर्जा आती है। ऊर्जादायक प्रकाश आपके घर के भीतर प्रवेश कर सकेगा। सुबह उठते ही अपने मकान के पूर्वोतर, यानी ईशान कोण में पूर्वोन्मुखी हो कर ईश्वर का ध्यान करें।
  7. अपने बेडरुम की दीवारों पर नीले या सफेद रंग का प्रयोग न करें बल्कि हल्के गुलाबी, हल्के हरे व बैंगनी रंगों का प्रयोग करें। ये रंग आपको लगातार अतिरिक्त ऊर्जा देते रहेंगे। कमरे के  खाली पड़े कोने में वास्तु की सकारात्मक ऊर्जा तरंगों में वृद्धि करने के लिए इन स्थानों पर सुंदर फूलों के गुलदस्ते लगाएं। भवन में उत्तर पश्चिम भाग जिसे वायव्य भी कहते हैं। यह स्थान वायु तत्व का कारक है। इस स्थान को खुला रखना चाहिए। यदि यह भाव खुला नहीं है तो व्यक्ति को वायु विकार व मानसिक रोगों के होने की संभावना रहती है।
  8. लोगों पर अपना प्रभाव बरकरार रखने के लिए बेड के सिरहाने विशाल चट्टान, जहां एक ओर ठोस आधार व दृढ़ संकल्प में वृद्धि करता है। वहीं दूसरी ओर जल तत्व तरलता का प्रतीक होता है इसलिए जल का चित्र केवल घर की उत्तर दिशा में स्थित दिवार पर ही लगाना लाभदायक होता है। ध्यान रखें कि सोते समय बिस्तर के सिरहाने कोई खिड़की, झरोखा या दरवाजा न हो, क्योंकि ऐसा होने से आपके शरीर की सकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल कर आपको रिक्तता प्रदान करेगी, जिससे आपका आत्मविश्वास डगमगाता रहेगा।
This entry was posted in Location For You. Bookmark the permalink.

Leave a comment